अनस इज़हार का परिचय
अनस 'इज़हार' उर्दू के शायर है। उनका असल नाम मोहम्मद अनस है। इज़हार तखल्लुस करते हैं। इनकी पैदाइश उत्तर प्रदेश इलाहबाद में २८-०२-१९९० में हुई लेकिन इन्होने अनस 'इज़हार' बिजनोरी लिखा चूँकि इनके पूर्वज बिजनौर जिले के रहने वाले थे। इन्होने अपनी पढाई इलाहबाद में रह कर किया। वैसे तो ये अंग्रेजी स्कूल के पढ़े थे मगर उर्दू साहित्य में लगाव की वजह से ये हमेशा उर्दू की किताबों को अपना वक़्त दिया करते थे और बहुत छोटी उम्र से ही इन्होने लिखना शुरू कर दिया था। जवान होते होते इनके ख्यालों ने ग़ज़लों की शक्ल लेना शुरू कर दिया। उम्र के साथ साथ इनकी शे' र-ओ-अदब में दिलचस्पी बढ़ती गयी और ये अपने जज़्बात के साथ साथ अपने आस पास के लोगों की कैफयत को भी ग़ज़लों में कहने लग गए।
हरसवाड़ा, नजीबाबाद (बिजनौर) उत्तर प्रदेश के एक अज़ीम जमींदार अब्दुल वाहिद के घराने से ताल्लुक रखने वाले मोहम्मद अनस ने अपनी लिखी उर्दू कि ग़ज़लों से अपनी किस्मत कि लकीर ख़ुद खींचने का फैसला किय। जमींदार अब्दुल वाहिद अपनी फ़राग़-दिली और दरिया-दिली कि वजह से “दौला मौला” के नाम से जाने जाते थे, 1952 में उत्तर प्रदेश सरकार के ज़रिये से ज़मींदारी ख़त्म किये जाने पर उनका पूरा घर उजार हो गया था और इसी सदमे के चलते जनाब अब्दुल वाहिद कि भी मौत हो गयी ।
इज़हार अपनी पुरानी जड़ों से इस क़दर जुड़े हुए हैं कि इलाहबाद में करेली इलाके में इनके वालिद के बनवाये घर का नाम इन्होने ‘हरसवाड़ा हाउस’ रख दिय। इज़हार एक बहुत ही उदार किस्म के इंसान हैं इनकी शख्सियत कि यही एक बात है कि ये किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना चाहते और इसी आदत कि वजह से ये अपने शहर इलाहबाद में अपने हम-शायर दोस्तों को लगातार साहित्य से जुड़े रहने के लिए बढ़ावा भी देते रहते हैं।