अयाज़ वारसी के अशआर
निगाह वालों में उस का कोई शुमार नहीं
ग़म-ए-हुसैन में जो आँख अश्क-बार नहीं
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere