बावरी साहिबा का परिचय
मायानंद की शिष्या थी। बादशाह अकबर की समकालीन। इनके पंथ वालों के पास इनकी एक चित्र मिलता है जिसमें इन्हें दाएं हाथ में मोरछल एवं बाएँ हाथ को किसी आधारी लकड़ी पर टेक कर बैठी हुई। किसी आनंदविभोर भक्तिन के रूप में दिखलाया गया है। इनका एक पद ही मिलता है।