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दयालनाथ महाराज

1788 - 1836

दयालनाथ महाराज का परिचय

ये आख्यान कविताओं के संत कवि होने के साथ साथ कृष्ण भक्त कवि भी थे। संतान की मृत्यु के बाद इन्हें आत्मज्ञान हुआ और वैरागी बाना धारण कर लिया। हैदराबाद में अब भी इनकी समाधि है। 

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