कबीर के गुरुमुख शिष्य के रूप में ख्याति। परंतु बंधोगढ़ की कबीर-पंथ की जिस छत्तीसगढ़ी शाखा के ये आदि प्रवर्तक माने जाते हैं, उसकी गुरु परंपरा की तालिका से स्पष्ट होता है कि कबीर एवं धर्मदास के समय में काफ़ी अंतर है। इनके पदों में कबीर के आलौकिक रूप का उल्लेख मिलता है। इनका कोई ग्रंथ उपलब्ध नहीं है।