ग्वाल का परिचय
इनके आश्रयदाता थे महाराज जसवंत सिंह और स्वामी ललन सिंह। इनका कार्यक्षेत्र मथुरा एवं वृंदावन था एवं इनकी काव्य भाषा ब्रज थी। इन्होंने 50 से ऊपर काव्यों की रचनाएं की हैं। प्रमुख हैं- यमुना लहरी, रसिका नन्द, हम्मीद हठ, नखशिख, गोपी पचीसी, राधाष्टक, रसरंग, कवित्त बसंत, बंशी-बीसा, ग्वाल पहेली, कवि दर्पण और भीत-भावन। हिंदी रीतिकाल की परंपरा में ग्वाल ने दोषों का विस्तृत विवेचन किया है।