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इम्दाद अ'ली उ'ल्वी

1839 - 1901 | हैदराबाद, भारत

हैदराबाद के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि

हैदराबाद के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि

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ऐ यार न मुझ से मुँह को छुपा तू और नहीं मैं और नहीं

ऐ यार न मुझ से मुँह को छुपा तू और नहीं मैं और नहीं आबिदा परवीन

कहें किस से कि उन आँखों से क्या क्या हम ने देखा है

कहें किस से कि उन आँखों से क्या क्या हम ने देखा है अज्ञात

ग़ुबार-ए-कूचा-ए-मिर्ज़ा हूँ नक़्श-ए-आब नहीं

ग़ुबार-ए-कूचा-ए-मिर्ज़ा हूँ नक़्श-ए-आब नहीं अज्ञात

जहाँ सर झुकाया दर-ए-यार पाया

जहाँ सर झुकाया दर-ए-यार पाया अज्ञात

तुम्हारे हुस्न की ये शान मिर्ज़ा

तुम्हारे हुस्न की ये शान मिर्ज़ा अज्ञात

तिरा दर छोड़ कर जाएँ तो अब जाएँ कहाँ मिर्ज़ा

तिरा दर छोड़ कर जाएँ तो अब जाएँ कहाँ मिर्ज़ा अज्ञात

नहीं मुम्किन हर इक के दिल में नक़्श-ए-यार हो पैदा

नहीं मुम्किन हर इक के दिल में नक़्श-ए-यार हो पैदा अज्ञात

पेश-ए-हक़ कुछ तिरा नमूना रहे

पेश-ए-हक़ कुछ तिरा नमूना रहे अज्ञात

मरीज़-ए-दिल की शिफ़ा ला-इलाहा इल-लल्लाह

मरीज़-ए-दिल की शिफ़ा ला-इलाहा इल-लल्लाह अज्ञात

मिर्ज़ा जी मिर्ज़ाई कर गए

मिर्ज़ा जी मिर्ज़ाई कर गए अज्ञात

यार अग़्यार में नज़र आया

यार अग़्यार में नज़र आया अज्ञात

वही जल्वा-नुमा है मैं नहीं हूँ

वही जल्वा-नुमा है मैं नहीं हूँ अज्ञात

सरापा नक़्शा-ए-दिलदार हूँ मैं

सरापा नक़्शा-ए-दिलदार हूँ मैं अज्ञात

कर ग़ौर ज़रा दिल में कुछ जल्वागरी होगी

कर ग़ौर ज़रा दिल में कुछ जल्वागरी होगी परवेज़ और मिस्कीन हुसैन क़व्वाल

ख़िरद-मंदों को दीवाना बनाया

ख़िरद-मंदों को दीवाना बनाया

गर यार हो बहम कोई हो हो न हो न हो

गर यार हो बहम कोई हो हो न हो न हो परवेज़ और मिस्कीन हुसैन क़व्वाल

जल्वा-ए-मा’बूद है सरदार बेग

जल्वा-ए-मा’बूद है सरदार बेग मह्बूब ख़ान क़व्वाल

यार काँ काँ न फिरा दह्र में क्या-क्या बन कर

यार काँ काँ न फिरा दह्र में क्या-क्या बन कर परवेज़ और मिस्कीन हुसैन क़व्वाल

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