लालदास का परिचय
लालदासजी संप्रदाय के प्रवर्तक संत। इनके सिद्धान्त कबीर पंथ और दादू पंथ से मिलते जुलते है। ये भी कबीर की ही भांति परमात्मा को राम ही कहते हैं। पहले ये सामान्य लकड़हारे थे, पढ़े लिखे भी नहीं थे लेकिन सत्संग करते करते इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गयी। इनकी रचनाएँ उपदेश 'वाणी' के नाम से संग्रहीत है।