माधुरी पत्रिका के सूफ़ी लेख
अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
भारतवर्ष में जो अनेक प्रसिद्ध मुसलमान कवि, लेखक और विद्वान् हुए हैं, अमीर खु़सरो उन सब के शिरोमणि थे। स्वर्गीय मौलाना शिबली ने उनकी जीवनी में लिखा है- “हिंदोस्तान में छ: सौ बरस से आज तक , इस दर्जा का जामे'-ए - कमालात नहीं पैदा हुआ और सच पूछो, तो इस
कविवर रहीम-संबंधी कतिपय किंवदंतियाँ- याज्ञिकत्रय
प्रसिद्ध पुरुषों के विषय में जो जनश्रुतियाँ साधारण जन-समाज में प्रचलित हो जाती हैं, वे सर्वथा निराधार नहीं होतीं। यद्यपि उनमें कल्पना की मात्रा अधिक होती है, तथापि उनका ऐतिहासिक मूल्य भी कुछ-न-कुछ अवश्य होता है। किंवदंतियों में मनोरंजन की सामग्री भी
समर्थ गुरु रामदास- लक्ष्मीधर वाजपेयी
महाराज विक्रम की सत्रहवीं शताब्दी में, जब कि भारतवर्ष में मुग़ल-राज्य अपनी उन्नति की चरम सीमा तक पहुँच चुका था, और उस समय के राज्य करनेवाले यवनों से भारतवर्ष की प्रजा बहुत पीड़ित हो रही थी, दक्षिण प्रांत में कुछ साधु पुरुष उत्पन्न हुए, उनमें समर्थ गुरु
तुलसीदासजी की सुकुमार सूक्तियाँ- राजबहादुर लमगोड़ा
देखि सीय सोभा मुख पावा, हृदय सराहत बचन न आवा। जनु बिरंचि सब निज निपुनाई, बिरचि बिश्व कहँ प्रगट दिखाई। सुंदरता कहँ सुंदर करई, छबि-गृह दीप-सिखा जनु बरई। सब उपमा कबि रहे जुठारी, केहि पटतरिया विदेहकुमारी। सिय सोभा हिय बरनि प्रभु, आपनि दसा बिचारि, बोले सुचि
कविवर रहीम-संबंधी कतिपय किवदंतियाँ - याज्ञिकत्रय
प्रसिद्ध पुरुषों के विषय में जो जनश्रुतियाँ साधारण जन-समाज में प्रचलित हो जाती हैं, वे सर्वथा निराधार नहीं होतीं। यद्यपि उनमें कल्पना की मात्रा अधिक होती है, तथापि उनका ऐतिहासिक मूल्य भी कुछ-न-कुछ अवश्य होता है। किवदंतियों में मनोरंजन की सामग्री भी होती
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere