हज़रत मख़्दूम दरवेश अशरफ़ी चिश्ती बीथवी
हज़ारों साल तक ही ख़िदमत-ए-ख़ल्क़-ए-ख़ुदा कर के
ज़माने में कोई एक बा-ख़ुदा दरवेश होता है
इस ख़ाकदान-ए-गेती पर हज़ारों औलिया-ए-कामिलीन ने तशरीफ़ लाकर अपने हुस्न-ए-विलायत से इस जहान-ए-फ़ानी को मुनव्वर फ़रमाया और अपने किरदार-ए-सालिहा से गुलशन-ए-इस्लाम