मुक़िमी का परिचय
इस कवि के बारे में इतनी ही मालूमात मिलती है कि यह असमाबाद (उत्तरी ईरान) में पैदा हुआ। अपने वालिद के साथ यात्रा करते हुए ये शीराज (दक्षिण ईरान) पहुंचे और वहाँ से बीजापुर आ गये। पूरा नाम मिर्जा मुहम्मद मुक़ीम-मुक़ीमी था। इन्होंने अपना काव्य 'चन्दरबदन व महियार' 1627 ई. में पूरा किया। ये एक प्रेम कथा है। जिसमें एक हिंदू राजकुमारी चंद्रबदन पर एक मुसलमान व्यापारी महियार (मुहीउद्दीन) आशिक़ हो जाता है। सामाजिक विरोध के कारण इनका विवाह नहीं होता और दोनों तड़पकर मर जाते हैं। मुक़ीमी एक बेनियाज़ शाइर है जो किसी बादशाह की तारीफ़ नहीं करता न वजही और गौवासी की तरह आत्मप्रशंसा करता है।