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पीर नसीरुद्दीन नसीर के वीडियो
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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
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पीर नसीरुद्दीन नसीर
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
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पीर नसीरुद्दीन नसीर
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उठे न थे अभी हम हाल-ए-दिल सुनाने को पीर नसीरुद्दीन नसीर
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क़ुदरत ने आज अपने जल्वे दिखा दिए हैं पीर नसीरुद्दीन नसीर
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कौन हो मसनद-नशीं ख़ाक-ए-मदीना छोड़ कर पीर नसीरुद्दीन नसीर
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जिसे तेरी ज़ुल्फ़ों के ख़म याद आए पीर नसीरुद्दीन नसीर
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तड़प उठता है दिल लफ़्ज़ों में दोहराई नहीं जाती पीर नसीरुद्दीन नसीर
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फ़ानी है ये अर्बाब-ए-तरब की कुर्सी पीर नसीरुद्दीन नसीर
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बस यही सोच के पहरों न रहा होश मुझे पीर नसीरुद्दीन नसीर
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मुझ पे भी चश्म-ए-करम ऐ मिरे आक़ा करना पीर नसीरुद्दीन नसीर
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वो जिस के नाम पे नब्ज़-ए-हयात चलती है पीर नसीरुद्दीन नसीर
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हक़ीक़त और ही कुछ है मगर हम क्या समझते हैं पीर नसीरुद्दीन नसीर
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हाजी महबूब अ'ली
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अगर फुर्क़त के सदमे कम न होंगे नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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अब तंगी-ए-दामाँ पे न जा और भी कुछ माँग अज्ञात
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अल्लाह रे क्या बारगह-ए-ग़ौस-ए-जली है नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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आज मिल कर भी उन से न कुछ बात की नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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आप इस तरह तो होश उड़ाया न कीजिए नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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आस्ताँ है ये किस शाह-ए-ज़ीशान का मर्हबा मर्हबा नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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इक क़ियामत बन गई है आश्नाई आप की अज्ञात
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इक मैं ही नहीं उन पर क़ुर्बान ज़माना है ओवैद रज़ा क़ादरी
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उन के अंदाज़-ए-करम उन पे वो आना दिल का नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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कभी उन का नाम लेना कभी उन की बात करना अज्ञात
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कभी उन का नाम लेना कभी उन की बात करना राहिल फ़ारूक़
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किस से माँगें कहाँ जाएँ किस से कहें और दुनिया में हाजत-रवा कौन है रफ़ाक़त अली ख़ान
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किसी को हिज्र तड़पाए तुम्हें क्या अज्ञात
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कोई दुनिया-ए-'अता में नहीं हमता तेरा सरवर हुसैन नक़्शबंदिया
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चार तिनकों का सहारा कुछ नहीं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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ज़ुल्म हम पर हर-आन होते हैं अज्ञात
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जिस तरफ़ से गुलशन-ए-’अदनान गया अज्ञात
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जो कफ़न बाँध के सर से गुज़रे अज्ञात
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तड़प उठता है दिल लफ़्ज़ों में दोहराई नहीं जाती सय्यद ज़बीब मास'उद
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तिरी शान सब से जुदा ग़ौस-ए-आ'ज़म सय्यद ज़बीब मास'उद
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थी जिस के मुक़द्दर में गदाई तिरे दर की नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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दीन से दूर न मज़हब से अलग बैठा हूँ अज्ञात
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निकल गए हैं ख़िरद की हदों से दीवाने अज्ञात
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बन के तस्वीर-ए-ग़म रह गए हैं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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बहुत कुछ हम ने देखा देखने को जुनैद नसीर्वी
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मंज़र फ़ज़ा-ए-दहर में सारा 'अली का है स्येद फ़सीहुद्दिन सुहरावर्दी
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मय-कदे का निज़ाम तुम से है अज्ञात
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मिरी ज़िंदगी तो फ़िराक़ है वो अज़ल से दिल में मकीं सही ज़ीशान हैदर
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मिरी ज़ीस्त पुर-मसर्रत कभी थी न है न होगी नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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रोज़-ए-अज़ल ख़ालिक़ ने जारी पहला ये फ़रमान किया नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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लौ मदीने की तजल्ली से लगाए हुए हैं अज्ञात
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शाहान-ए-जहाँ किस लिए शरमाए हुए हैं सय्यद ज़बीब मास'उद
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सुने कौन क़िस्सा-ए-दर्द-ए-दिल मेरा ग़म-गुसार चला गया अज्ञात
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सरताजन के ताज मु’ईनउद्दीन नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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हक़-अदा-ओ-हक़-नुमा बग़दाद की सरकार है अज्ञात