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रहीम

1553 - 1626 | आगरा, भारत

अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ानां एक अच्छे शाइ’र और क़िस्सा-गो थे, वो इ’ल्म-ए-नुजूम के अ’लावा उर्दू और संस्कृत ज़बान के एक फ़सीह-ओ-बलीग़ शाइ’र थे, पंजाब के नौशहर ज़िला’ में एक देहात को उनके नाम ख़ान ख़ानख़ाना से मौसूम किया गया है

अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ानां एक अच्छे शाइ’र और क़िस्सा-गो थे, वो इ’ल्म-ए-नुजूम के अ’लावा उर्दू और संस्कृत ज़बान के एक फ़सीह-ओ-बलीग़ शाइ’र थे, पंजाब के नौशहर ज़िला’ में एक देहात को उनके नाम ख़ान ख़ानख़ाना से मौसूम किया गया है

रहीम का परिचय

उपनाम : 'रहीम'

मूल नाम : अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ाना

जन्म : 01 Dec 1553 | लाहौर, पंजाब

निधन : 01 Oct 1626 | उत्तर प्रदेश, भारत

मुगल सरदार बैरम ख़ान ख़ान-ए-खाना (अकबर के संरक्षक) के पुत्र। अकबर के समय में सेनानायक और मंत्री रहे। विद्या-व्यसनी और उच्च कोटि के कवि थे। संस्कृत, अरबी, फ़ारसी भाषाओं का भी गहरा ज्ञान था। अकबर के शासन-काल में इनकी दानवीरता प्रसिद्ध थी। जहाँगीर के वक़्त युद्ध में धोखा देने का आरोप लगा और बंदी भी बनाए गये। इनके काव्य ग्रंथों में- रहीम दोहावली, सतसई, बरवै, नायिका भेद, श्रृंगार-सोरठ, मदनाष्टक और रास पंचाध्यायी प्रसिद्ध है। रहीम का ब्रज और अवधी दोनों पर सामान अधिकार था। कहते हैं कि तुलसी ने रहीम के कहने पर ही उनके बरवै नायिका भेद को देखकर ही अपना बरवै रामायण लिखा।

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