सबा अफ़ग़ानी के अशआर
शिकस्त-ए-आईना कुछ बा'इस-ए-मलाल नहीं
ख़याल ये है कि आईना-गर पे क्या गुज़री
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टैग : आईना
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere