जीवन समय 15वीं शताब्दी का पिछला हिस्सा। इनकी जाति कसाई थी। जाति के कसाई थे लेकिन जीव हिंसा नहीं करते थे। माँस इकट्ठा मोल लेकर फुटकर बेचते थे। बटखरे की जगह शालिग्राम की बटिया थी, उसी से तौला करते थे, चारे कोई पाव भर ले या पाँच सेच। प्रसिद्ध वैष्णव संत।