सईद वारसी के अशआर
क्या हुआ चाक गर बादबाँ हो गए और हालात ना-मेहरबाँ हो गए
तेरी चश्म-ए-करम जब हो साया-फ़िगन दूर कश्ती से अपनी किनारा नहीं
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टैग : कश्ती
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere