सैफ़ फ़र्रुख़ाबादी के अशआर
बढ़ जाए क्यूँ न शे'र मिरा आफ़्ताब से
मज़मून रुख़ का बाँधा है किस आब-ओ-ताब से
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टैग : आफ़ताब
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere