शाह बुरहानुद्दीन जानम का परिचय
बीजापुर के संत मीरा जी शम्सुल-उश्शाक़ के यह बेटे और ख़लीफ़ा थे। इनका जन्म 1543 में हुआ था। इस प्रकार यह सूरदास से भी पहले हुए थे। बुरहानुद्दीन अपने पिता की भाँति गंभीर विद्वान एवं संत थे। इन्होंने कलाम और सूफ़ी मान पर कई किताबें लिखीं, जिसमें 'सुख-सुहेला' और 'इरशाद नामा' सुंदर पद्यों में हैं। इरशादनामा अशरफ़ के 'नौ सिरहार' के 81 वर्ष बाद लिखा गया। अपनी भाषा को यह हिंदी कहते हैं।