सुंदरदास छोटे की साखी
प्रीति सहित जे हरि भजैं, तब हरि होहि प्रसन्न।
सुन्दर स्वाद न प्रीति बिन, भूख बिना ज्यौं अन्न।।
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere