सैय्यद इस्हाक़ 'सरमस्त' सैय्यद मुहम्मद जौनपुरी के पोते थे। इनकी काव्य शैली ग़ज़ल रही है। इनकी भाषा काफ़ी मंझी हुई है। ग़ज़ल उस युग की भाषा-शैली पर प्रकाश डालती है। सरमस्त की ग़ज़ल में हिंदवी और फ़ारसी की छटा एक साथ दृष्टि-गोचर होती है।
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