सय्यद मीराँ हुसैनी का परिचय
सुल्तान मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह (1682-1711ई.) के समकालीन थे। सुल्तान के समय ही सैयद मीराँ हुसैनी गोलकुंडा में आकर 100 फ़क़ीरों के साथ एक मस्जिद में रहने लगे। इनकी ख्याति आम जन से लेकर बादशाह के महल तक थी। इनका ज्यादातर समय मलवापुर गाँव में बीता। मृत्यु के उपरान्त गोलकुण्डा के पास ही लंगरहौज में इन्हें दफनाया गया। इनकी एक रचना मसनवी 'बशीरतुल मनवर' है।