सय्यद रिज़्वानुल्लाह वाहिदी के सूफ़ी लेख
ख़ानदान-ए-चिराग़ देहलवी
शैख़-उल-मशाइख़, बादशाह-ए-’आलम-ए-हक़ीक़त , कान-ए-मोहब्बत-ओ-वफ़ा हज़रत ख़्वाजा नसीरुल-मिल्लत वद्दीन महमूद अवधी रहमतुल्लाह अ’लैह। तकमिला-ए-सियर-उल-औलिया में है कि ’इल्म-ओ-’अक़्ल-ओ-’इश्क़ में आपका ख़ास मक़ाम था। मकारिम-ए-अख़्लाक़ में आपका काई सानी न था। जानशीन:– आप
अयोध्या की राबिया-ए-ज़मन – हज़रत सय्यदा बड़ी बुआ
हिन्दुस्तान यूँ तो हमेशा सूफ़ियों और दरवेशों का अ’ज़ीम मरकज़ रहा है।इन हज़रात-ए-बा-सफ़ा ने यहाँ रहने वालों को हमेशा अपने फ़ुयूज़-ओ-बरकात से नवाज़ा है और ता-क़यामत नवाज़ते रहेंगें। इन्हीं बा-सफ़ा सूफ़ियों में हज़रत बीबी क़ताना उ’र्फ़ बड़ी बुआ साहिबा
हज़रत सय्यद कमालुद्दीन अ’ल्लामा चिश्ती
शहर-ए-अवध या’नी अयोध्या अहल-ए-तसव्वुफ़ का अ’ज़ीम मरकज़ रहा है। इसकी आग़ोश में अपने वक़्त के अ’ज़ीम-तरीन सूफ़िया-ए-उज़्ज़ाम और मशाइख़-ए-इस्लाम ने परवरिश पाई है। इस शहर को ला-सानी शोहरत क़ुतुब-मदार ख़्वाजा नसीरुद्दीन महमूद चिराग़ देहलवी से हुई।आपके ख़ानवादे
ख़्वाजा सय्यद नसीरुद्दीन चिराग़ देहलवी
ख़्वाजा सैयद नसीरुद्दीन महमूद रौशन चिराग़ देहलवी सिलसिला-ए-चिश्तिया के रौशन चराग़ हैं। आप की पैदाइश अयोध्या में 675 हिज्री (1276/77 ई’स्वी) में हुई थी।आपके वालिद माजिद का नाम हज़रत सैयद अल-मुई’द यहया युसूफ़ अल-गिलानी था। आपके दादा का नाम सैयद अबू नस्र
हज़रत सैयद ज़ैनुद्दीन अ’ली चिश्ती
आप ख़्वाजा नसीरुद्दीन चराग़-ए-देहलवी के भांजा और आपके ही मुरीद और ख़लीफ़ा भी थे। आप हज़रत कमालुद्दीन अ’ल्लामा के भाई थे।आप अक्सर ख़्वाजा नसीरुद्दीन चराग़ देहलवी की ख़िदमत-ए-अक़्दस में हाज़िर रहते थे, और हज़रत मख़दूम साहिब भी आपसे बड़ी शफ़क़त-ओ-इ’नायत
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere