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ताज

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ताज का परिचय

भक्त महिला थी। उनकी जो कविताँ मिलती हैं उनसे पता चलता है कि उनका हृदय जाति-पाति की सीमा से बहुत दूर था। उन्हें कृष्ण में एक दूसरी ही ज्योति का दर्शन होता था। वह वैष्णव मतावलम्बी थी। यह करौली में रहती थी।

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