तल्हा रिज़वी बरक़ के अशआर
ज़र्रे को आफ़ताब का हमता बना दिया
'इश्क़-ए-नबी ने क़तरे को दरिया बना दिया
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टैग : आफ़ताब
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere