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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
-मुठिया(136) एक जानवर रंग रँगीला, बिन मारे वह रोवे।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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-मुठिया (136) एक जानवर रंग रँगीला, बिन मारे वह रोवे।
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