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सूफ़ी लेख
ख़ानदान-ए-चिराग़ देहलवी
आप अपने वालिद और भाई के हमराह पश्मीना की तिजारत किया करते थे।औलादः-
सय्यद रिज़्वानुल्लाह वाहिदी
दकनी सूफ़ी काव्य
तूतीनामा- चुन उस गोहराँ के समन्द का गम्भीर
जो नागाह बातॉ में उस जवाँ सातकह्या जो दरिया की तिजारत की बात
मुल्ला ग़व्वासी
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मसनवी
बाज़ गुफ़्तन-ए-बाज़र्गाँ बा-तूती आँ-चे दीद अज़ तूतियान-ए-हिंदुस्ताँकर्द बाज़र्गाँ तिजारत रा तमाम
रूमी
नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
हो निको नाम जो क़ब्रों की तिजारत कर केक्या न बेचोगे जो मिल जाएँ सनम पत्थर के
अल्लामा इक़बाल
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो के अ’हद की देहली - हुस्नुद्दीन अहमद
बाज़ारों में बैरून-ए-ममालिक का सामान भी मिलता था और दूर-दूर से ताजिर सामान-ए-तिजारत ले कर यहाँ
मुनादी
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा गेसू दराज़ बंदा-नवाज़ - प्रोफ़ेसर सय्यद मुबारकुद्दीन रिफ़्अ’त
इस किताब में एक जगह इर्शाद फ़रमाते हैं कि जब मोमिन नफ़्स के पंजे से छुटकारा