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शबद
सुनो रे संतों, ऐसा है देश हमारा !
ना कोई गृह पसारा ।ना यहाँ शत्रु, ना यहाँ मीता ।
स्वामी आत्मप्रकाश
पद
सज्जन सम्बन्धी जे सुपति के तिहारे होहिं,
नम्रता बड़न माहि मित्रता सुनारिन सों ,शत्रु-भाव राखिये कुनारिन के साथ मे ।।
सरस्वती देवी
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राग आधारित पद
राग धनाश्री - व्रज में आज एक कुमारि
शचीपतिसुत शत्रु पितु मिलि सुता विरह विचारतुम विना ब्रजराज बरषत प्रबल आंशू धार
सूरदास
पद
गुरपद पया जी अनुभव आया जी
देखत ही सब शत्रु मिट गये इस बिध मैं हूँ राजासार बिचार बिबेकसो नेमधरमसो जाने
दयालनाथ महाराज
सूफ़ी लेख
नवाब-ख़ानख़ाना-चरितम्- ले. श्री विनायक वामन करंबेलकर
“निजामशाह के राज्य को जीतने के लिये अकबर के पुत्र मुराद की सेनाओं ने प्रस्थान किया।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
जायसी और प्रेमतत्व पंडित परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल्.-एल्. बी.
तजे चरन अजहूँ न मिटत नित बहिवो ताहू केरो।।अर्थात् ऐ मन! स्वयं चंद्रमा एवं सूर्य तक
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की पाँचवी क़िस्त
स्वप्न विचार के अनुसार ऐसे स्वप्न का परिणाम यह माना गया है कि जाग्रत् में वह
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
नीति प्रबोध- 56 पद्य की यह कृति कुंवर शैरसिंह को पढ़ाने के लिए ही कवि ने लिखी
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी कहानी
कहानी -14-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
प्राचीन काल में एक बादशाह था। वह शासन के काम-काज में सुस्ती करता था और सेना
सादी शीराज़ी
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की दूसरी क़िस्त
मनुष्य का शरीर पाँच तत्वों से बना हुआ है और बात, पित्त, कफ ये तीन इसके
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
सन्यासी फ़क़ीर आंदोलन – भारत का पहला स्वाधीनता संग्राम
“हमारी अश्वारोही रक्षक सेना के अधिक दूर जाते होते ही शत्रु नंगी तलवारें हाथ में लिए