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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ ग़म्ज़: ज़न कि तीर-ए-जफ़ा दर कमान-ए-तुस्तआहिस्तः ज़न कि गर्दन-ए-मा दर इ’नान-ए-तुस्त
अमीर ख़ुसरौ
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ग़ज़ल
है जहाँ के रंग-ओ-बू से तिरा हुस्न आश्कारातिरे दम से ही मुनव्वर है फ़लक का ये नज़ारा
ख़्वाजा शायान हसन
फ़ारसी कलाम
चुँ अज़ हरीम-ए-हुस्न शह-ए-जाँ बर आमदःशोर-ओ-फ़ुग़ाँ ज़ 'आलम-ए-इम्काँ बर आमदः
शाह अलिमुल्लाह सफ़ी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ख़ेज़ ऐ दिल ज़ीं बर अफ़्गन मरकब-ए-तहवील रावक़्फ़ कुन बर ना-कसाँ आँ आ'लम-ए-तातील रा
हकीम सनाई
कलाम
सरापा हुस्न भी तुम हो सरापा इ'श्क़ भी तुम होये अपनी ज़िंदगी तुम हो कि मेरी ज़िंदगी तुम हो
ज़हीन शाह ताजी
शे'र
इ’श्क़ अदा-नवाज़-ए-हुस्न हुस्न करिश्मा-साज़-ए-इश्क़आज से क्या अज़ल से है हुस्न से साज़-बाज़-ए-इ’श्क़
बेदम शाह वारसी
शे'र
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
ज़हीन शाह ताजी
ना'त-ओ-मनक़बत
वक़्फ़ थे क़ुदसी-ए-अज़ल से जिन की ता’अत के लिएआए वो दुनिया में दुनिया की हिदायत के लिए
शकील बदायूँनी
शे'र
हुस्न-मह्व-ए-रंग-ओ-बू है इ’श्क़ ग़र्क़-ए-हाय-ओ-हूहर गुलिस्ताँ उस तरफ़ है हर बयाबाँ इस तरफ़
ज़हीन शाह ताजी
ना'त-ओ-मनक़बत
जिन को भी मा’लूम है शान-ए-वक़ार-ए-फ़ातिमाअपने सर करते हैं फ़र्श-ए-रह-गुज़ार-ए-फ़ातिमा