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पद
राम रस मीठा रे, अमली बिन पीया न जाय
राम रस मीठा रे, अमली बिन पीया न जाय।।राम रस मीठा रे, अमली बिन पीया न जाय।।
महात्मा कल्याणदास जी
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तुका प्रीत राम सूँ तैसी मीठा राख
'तुका' प्रीत राम सूँ तैसी मीठा राखपतंग जाय दीप परे करे तन की खाक
तुकाराम
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तुका राम बहुत मीठा रे ! भर राखो शरीर
'तुका' राम बहुत मीठा रे ! भर राखो शरीरतन की करूँ नावरी उतारूं पैले तीर
तुकाराम
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गूजरी सूफ़ी काव्य
खिले फूल होर मीठा दानाँ
खिले फूल होर मीठा दानाँवही अली हँस करे बखानाँ
शाह अली जीव गामधनी
शबद
मरिहौ पंडित मरनौ मीठा जौ मरना श्री गोरख धीठा
मरिहौ पंडित मरनौ मीठा जौ मरना श्री गोरख धीठामुए तेंजिउ जाय जहाँ जीवत ही लै रखौ तहाँ
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
ग़ज़ल
बुत का पुजारी बन जा पगले मीठा फल तू पाएगादुनिया के सब छोड़ बखेरे पीछे तू पछताएगा
अब्दुल हादी काविश
दकनी सूफ़ी काव्य
राम सूँ राजी वो मेरा मन राम सूँ राजी वो
गुरुमुख सुराम दीठा । ससार जंजाल तूटाकहत 'केशव' राजकवि । लागिया रघुनाथ मीठा
केशव स्वामी
पद
राम सुं राजी वो मेरा राम सुं राजी
गुरमुख सुराम दीठा, संसार-जंजाल तूटा,कहत केशव राज कवी, लागीया रघुनाथ मीठा ।।
केशव स्वामी
कुंडलिया
कीगर वाजै भैंस पर, रूँथि रूँथि खड खांहि।।
खेलै नरका माँहि, रडक पय पीवे मीठा।।टको पईसो देख, नैन इमृत रस बूठा।।
स्वामी आत्माराम जी
पद
आदर्श आचरण -पीर पैगम्बर की बानी
मार करो कुई मूपर मारो, दोनों मीठा बानी।।कांचन नारी जहर सम देखे, न पसरे ह्वा पानी।
कमाल
ना'त-ओ-मनक़बत
नाम-ए-मोहम्मद कितना मीठा-मीठा लगता हैप्यारे नबी का ज़िक्र भी हम को प्यारा लगता है
अ'ब्दुल सत्तार नियाज़ी
सूफ़ी लेख
हिन्दी साहित्य में लोकतत्व की परंपरा और कबीर- डा. सत्येन्द्र
ता अला की गति नहीं जानी, गुरि गुड़ दीया मीठा, कहै कबीर मैं पूरा पाया, सब घटि साहिब दीठा।