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सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
A.क़ाज़ी अहमद क़ाज़ीफ़ैज़ बख़्शी का ज़माने में फ़साना हो गया
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
सूफ़ी क़व्वाली में महिलाओं का योगदान
सरफ़राज़ी उसे हासिल हुई सारे ज़माने परअदब से सर झुकाया जिसने तेरे आस्ताने पर
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
क़व्वालों के क़िस्से
मौत ने ज़माने को ये समा दिखा डालाकैसे कैसे रुस्तम को खाक में मिला डाला
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
हज़रत गेसू दराज़ का मस्लक-ए-इ’श्क़-ओ-मोहब्बत - तय्यब अंसारी
तुंद ओ सुबुक-सैर है गरचे ज़माने की रौइ’श्क़ ख़ुद इक सैल है सैल को लेता है थाम
मुनादी
सूफ़ी लेख
हज़रत मख़्दूम दरवेश अशरफ़ी चिश्ती बीथवी
हज़ारों साल तक ही ख़िदमत-ए-ख़ल्क़-ए-ख़ुदा कर केज़माने में कोई एक बा-ख़ुदा दरवेश होता है