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सूफ़ी लेख
हज़रत मख़्दूम दरवेश अशरफ़ी चिश्ती बीथवी
चैन बन कर दिल-ए-बेचैन में रहना सीखोसब्र से सीना-ए-हसनैन में रहना सीखो
मुनीर क़मर
सूफ़ी लेख
उदासी संत रैदास जी- श्रीयुत परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल-एल. बी.
अर्थात् मेरे विचार में प्रेम ही सब कुछ है और प्रेमरस का अनुभव होने पर ही
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी
ख़्वाजा-ए-ख़्वाज-गान ने अपने चहेते मुरीद को दिल्ली ही में ठहरने का हुक्म दिया और फ़रमाया ले
ख़्वाजा हसन सानी
सूफ़ी लेख
जायसी और प्रेमतत्व पंडित परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल्.-एल्. बी.
अतएव जायसी-द्वारा निद्रिष्ट प्रेमतत्व का विशेषता उस के मूलत विरहगर्भित होने में ही प्रत्यक्ष होती है
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इन्सानियत में सूफ़ियों का हिस्सा (हज़रत शाह तुराब अ’ली क़लंदर काकोरवी के हवाला से) - डॉक्टर मसऊ’द अनवर अ’लवी
मुनादी
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ताजुल-आ’रिफ़ीन मख़दूम शाह मुजीबुल्लाह क़ादरी – हकीम शुऐ’ब फुलवारवी
उस वक़्त आपके हम-उ’म्रों और क़राबत-मंदों में से एक बुज़ुर्ग हज़रत शाह मोहम्मद मख़्दूम क़ादरी जा’फ़री
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
इसी तरह बुलबुल का रोना-गाना फ़ारस में तो कुछ अर्थ रखता है, पर यहाँ की बुलबुल