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कलाम
का’बा-ए-अबरू दिखा औ बुत ख़ुदा के वास्तेशक्ल-ए-मिज़्गाँ हाथ उठाए हों दु'आ के वास्ते
ख़वाजा वज़ीर लखनवी
कलाम
किसी से सीख ले बुलबुल सरापा दास्ताँ रहनाहै नंग-ए-'इश्क़ हाल-ए-दिल का मोहताज-ए-बयाँ रहना
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
न देखूँगा हसीनों को अरे तौबा न देखूँगातक़ाज़ा लाख तू कर ऐ दिल-ए-शैदा न देखूँगा
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
तुम जिस को देख लो वो न पहलू में पाए दिलतुम सा जो दिल-रुबा हो तो क्यूँ कर बचाए दिल
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
जहाँ बदला तो बदला तू भी ऐ जान-ए-जहाँ बदलाज़मीं बदली तो बदली थी ग़ज़ब है आसमाँ बदला
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
आईना बनता है रगड़े लाख जब खाता है दिलकुछ न पूछो दिल बड़ी मुश्किल से बन पाता है दिल
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
हम नहीफ़ों से गुरेज़ आप को दरकार नहींपहलू-ए-गुल में हुआ करते हैं क्या ख़ार नहीं
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
हाल में अपने मस्त हूँ ग़ैर का होश ही नहींरहता हूँ मैं जहाँ में यूँ जैसे यहाँ कोई नहीं
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
वो हक़ के साथ राबिता-ए-दिल नहीं रहामज्ज़ूब उस लक़ब ही के क़ाबिल नहीं रहा
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
कोई मज़ा मज़ा नहीं कोई ख़ुशी ख़ुशी नहींतेरे बग़ैर ज़िंदगी मौत है ज़िंदगी नहीं
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
रहने दो चुप मुझे न सुनो माजरा-ए-दिलमैं हाल-ए-दिल कहूँ तो अभी मुँह को आए दिल