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واجد جی دادوپنتھی

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واجد جی دادوپنتھی

پد 14

دوہا 7

जल थल महियल सोधि सब, अब सु रहयौ इहि ठांऊँ।

मोहि समरपै जो कोऊँ, साधनि मुखि ह्वै खांऊँ।।

  • شیئر کیجیے

पसहु कौं प्यारौ लगै, न्यारौ कीयो जाय।

आगैं आगैं बाछरा, पीछैं पीछैं गाय।।

  • شیئر کیجیے

बाजीद मरजाद को मैटई, तीनि लोक को ईस।

सुर नर मुनि जोगी जती, पाइनि नांवहि सीस।।

  • شیئر کیجیے

बाजीद मिर मार दह दिसि करैं, लकुटी लीयैं हाथ।

कृपा बिना को लावई, चरन कंवल कौं माथ।।

  • شیئر کیجیے

साध सु मेरौ सरीरु है, हौं संतनि कौ जीव।

स्वांमी सेवग यूँ मिलैं, ज्यूँ दूध अरु घीव।।

  • شیئر کیجیے

چھند 5

 

کنڈلیا 11

راگ آدھارت پد 4

 

ساکھی 3

स्वारथि साथी जगत सब, बिन स्वारथ नहिं कोइ।

बाजीदा बिन स्वार्थी, अपलट अबिहर सोइ।।

  • شیئر کیجیے

बाबै सकरा सांनि करि, पै पानी परि देइ।

बाजीद निंहचैं नींब कौ, करवौई फर लेई।।

  • شیئر کیجیے

बाजीद दास के पास कौं, फल कहा बरनैं कोइ।

तांबै तै कंचन भयौ, पारस परसैं लोइ।।

  • شیئر کیجیے
 

جھولنا 1

 

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