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बुल्ले शाह के दोहे
उस दा मुख इक जोत है, घुंघट है संसार ।
घुंघट में ओह छुप्प गया, मुख पर आंचल डार ।।
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उन को मुख दिखलाए हैं, जिन से उस की प्रीत ।
उनको ही मिलता है वोह, जो उस के हैं मीत ।।
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ना खुदा मसीते लभदा, ना खुदा विच का'बे।
ना खुदा कुरान किताबां, ना खुदा निमाज़े ।।
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बुल्लया अच्छे दिन तो पिच्छे गए, जब हर से किया न हेत
अब पछतावा क्या करे, जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत
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बुल्लया औंदा साजन वेख के, जांदा मूल ना वेख ।
मारे दरद फ़राक दे, बण बैठे बाहमण शेख ।।
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होर ने सब गल्लड़ियां, अल्लाह अल्लाह दी गल्ल ।
कुझ रौला पाया आलमां, कुझ काग़जां पाया झल्ल।।
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इकना आस मुड़न दी आहे, इक सीख कबाब चढ़ाइयां ।।
बुल्लेशाह की वस्स ओनां, जो मार तकदीर फसाइयां ।।
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बुल्लया कसूर बेदस्तूर, ओथे जाणा बणया ज़रूर ।
ना कोई पुंन दान है, ना कोई लाग दस्तूर ।।
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बुल्लया काज़ी राज़ी रिश्वते, मुल्लां राज़ी मौत ।
आशिक़ राज़ी राम ते, न परतीत घट होत ।।
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मुँह दिखलावे और छुपे छल-बल है जगदीस
पास रहे हर न मिले इस को बिसवे बीस
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बुल्लया मैं मिट्टी घुमयार दी, गल्ल आख न सकदी एक ।।
तत्तड़ मेरा क्यों घड़या, मत जाए अलेक-सलेक।।
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बुल्ले नूँ लोक मत्तीं देंदे, बुल्लया तू जा बसो विच मसीती ।
विच मसीतां की कुझ हुंदा, जे दिलों नमाज़ ना कीती ।।
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बुल्ला कसर नाम कसूर है, ओथे मूँहों ना सकण बोल ।
ओथे सच्चे गरदन-मारीए, ओथे झूठे करन कलोल ।।
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बुल्लया जे तूं ग़ाज़ी बनना ए, लक्क बन्ह तलवार ।
पहलों रंघड़ मार के, पिच्छों काफ़र मार ।।
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ठाकुर-द्वारे ठग्ग बसें, भाईद्वार मसीत ।
हरि के द्वारे भिक्ख बसें, हमरी एह परतीत ।।
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भट्ठ नमाजां ते चिक्कड़ रोज़े, कलमे ते फिर गई स्याही
बुल्ले शाह शौह अंदरों मिलया, भुल्ली फिरे लोकाई
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बुल्लया जैसी सूरत ऐन दी, तैसी ग़ैन पछान ।
इक नुकते दा फेर है, भुल्ला फिरे जहान ।।
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बुल्लया कनक कौड़ी कामिनी, तीनों की तलवार ।
आए थे नाम जपन को, और विच्चे लीते मार ।।
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बुल्ले शाह ओह कौण है, उत्तम तेरा यार ।
ओस के हथ्थ कुरान है, ओसे गल्ल ज़ुनार ।।
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आई रुत्त शगूफ़यां वाली, चिड़ियां चुगण आइयां ।
इकना नूं जुर्रयां फड़ खाधा, इकना फाहीआं लाइयां ।।
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बुल्लया हरि मंदर में आए के, कहो लेखा दियो बता ।
पढ़े पंडित पांधे दूर कीए, अहमक लिए बुला ।।
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बुल्लया सभ मजाज़ी पौड़ियां, तूं हाल हकीकत वेख ।
जो कोई ओथे पहुंचया, चाहे भुल्ल जाए सलाम अलेक।।
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बुल्लया वारे जाइए ओहनां तों, जेहड़े मारन गप-शड़प्प ।
कौड़ी लब्भी देण चा, ते बुगचा घाऊं-घप्प ।।
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere