रहीम के दोहे
बड़े बड़ाई ना करैं बड़ो न बोलैं बोल
'रहिमन' हीरा कब कहै लाख टका मो मोल
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रहिमन बात अगम्य की कहन सुनन की नाहिं
जे जानत ते कहत नहि कहत ते जानत नाहिं
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रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो छिटकाय
टूटे से फिर ना मिले मिले गाँठ पड़ जाय
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रहिमन चुप ह्वै बैठिए देखइ दिनन को फेर
जब नीके दिन आइहैं बनत न लगिहै देर
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'रहिमन' ओछे नरन सों बैर भलो ना प्रीति
काटे चाटै स्वान के दोऊ भाँति विपरीति
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'रहमन' गली है सॉकरी दूजो ना ठहराहिं
आपु अहै तो हरि नहीं हरि तो आपुन नाहिं
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रहिमन निज मन की बिथा मन ही राखो गोय
सुनि अठिलैंहैं लोग सब बाँटी न लैहै कोय
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समय पाय फल होत है समय पाय झरि जात
सदा रहे नहिं एक सी का 'रहीम' पछितात
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'रहिमन' प्रीति न कीजिए जस खीरा ने कीन
ऊपर से तो दिल मिला भीतर फाँकें तीन
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रहिमन देखि बडेन को लघु न दीजिए डारी
जहाँ काम आवे सुई कहा करे तलवारि
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रहिमन वे नर मर चुके जे कहुँ माँगन जाहिं
उनते पहिले वे मुए जिन मुख निकसत नाहिं
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रहिमन तीर की चोट ते चोट परे बचि जाय
नैन बान की चोट ते चोट परे मरि जाय
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'रहिमन' अती न कीजिये गहि रहिए निज कानि
सैंजन अति फूले तऊ डार पात की हानि
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रहिमन ब्याह बिआधि है, सकहु तो जाहु बचाय
पायन बेड़ी पड़त है ढोल बजाय बजाय
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ससि सुकेस साहस सलिल मान सनेह 'रहीम'
बढ़त बढ़त बढ़ि जात हैं घटत घटत घटि सीम
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'रहिमन' ये तन सूप है लीजै जगत पछोर
हलुकन को उड़ि जान दै गरुए राखी बटोर
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राम न जाते हरिन सँग सीय न रावण साथ
जो 'रहीम' भावी कतहुँ होत आपुने हाथ
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रहिमन प्रीति सराहिए मिले होत रँग दून
ज्यों जरदी हरदी तजै तजै सफ़ेदी चून
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रहिमन बिपदाहू भली जो थोरे दिन होय
हित अनहित या जगत में जानि परत सब कोय
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मान सहित विष खाय के संभु भये जगदीस
बिना मान अमृत पिये राहु कटायो सीस
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वे रहीम नर-धन्य हैं पर उपकारी अंग
बाँटनवारे को लगे ज्यों मेंदही को रंग
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ये न रहीम सराहिये देन लेन की प्रीत
प्रानन बाजी राखिये हारि होय कै जीत
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रहिमन नीचन संग बसि लगत कलंक न काहि
दूध कलारी कर गहे मद समुझै सब ताहि
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राम नाम जान्यो नहीं भइ पूजा में हानि
कहि 'रहीम' क्यूँ मानिहैं जम के किंकर कानि
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रहिमन राम न उर धरै रहत बिषय लपटाय
पसु खर खात सवाद सों गुर गुलियाए खाय
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रहिमन निज संपति बिना कोउ न बिपति सहाय
बिनु पानी ज्यो जलज को नहिं रवि सकै बचाय
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रहिमन असमय के परे हित अनहित ह्वै जाय
बधिक बधै मृग बाँसों रुधिरै देत बताय
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रहिमन खोज ऊख में जहाँ रसन की खानि
जहाँ गाँठ तहँ रस नहीं यही प्रीति में हानि
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रहिमन चाक कुम्हार को माँगे दिया न देइ
छेद में डंडा डारि कै चहै नाँद लै लेइ
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रहिमन यो सुख होत है बढ़त देखि निज गोत
ज्यों बड़री अँखियाँ निरखि आँखिन को सुख होत
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ये रहीम जिन संग लै जनमत जगत न कोय
बैर प्रीति अभ्यास जस होत होत ही होय
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मान सरोवर ही मिले हंसनि मुक्ता भोग
सफरिन भरे 'रहीम' सर बक बालक नहिं जोग
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रहिमन कठिन चितान ते चिंता को चित चेत
चिता दहति निर्जीव को चिंता जीव समेत
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रहिमन नीच प्रसंग ते नित प्रति लाभ विकार
नीर चोरावै संपुटी मारु सहै घरिआर
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रहिमन जिह्वा बावरी कहिगै सरग पताल
आपु तो कहि भीतर रही जूती खात कपाल
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रहिमन रिस को छाँड़ि कै करौ गरीबी भेस
मीठो बोलो नै चलो सबै तुम्हारो देस
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सब को सब कोऊ करै कै सलाम कै राम
हित 'रहीम' तब जानिए जब कछु अटकै काम
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रहिमन माँगत बडेन की लघुता होत अनूप
बलि मख माँगन को गए धरि बावन को रूप
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होत कृपा जो बडेन की सो कदाचि घटि जाय
तौ 'रहीम' मरिबो भलो ये दुख सहो न जाय
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ये 'रहीम' मानै नहीं दिल से नवा जो होय
चीता चोर कमान के नये ते अवगुन होय
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सौदा करो सो करि चलौ रहिमन याही बाट
फिर सौदा पैहो नहीं दूरि जान है बाट
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रहिमन तब लगि ठहरिए दान मान सनमान
घटत मान देखिय जबहिं तुरतहि करिए पयान
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रहिमन सुधि सबते भली लगै जो बारम्बार
बिछुरे मानुष फिरि मिलें यहै जान अवतार
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रहिमन याचकता गहे बड़े छोट ह्वै जात
नारायण हू को भयो बावन आँगुर गात
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रहिमन मनहिं लगाइ के देखि लेहु किन कोय
नर को बस करिबो कहा नारायण बस होय
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समय दसा कुल देखि कै सबै करत सनमान
'रहिमन' दीन अनाथ को तुम बिन को भगवान
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere