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शाह अमीरुद्दीन फ़िरदौसी

1803 - 1868 | बिहार शरिफ़, भारत

ख़ानक़ाह-ए-मुअ’ज़्ज़म हज़रत मख़दूम-ए- जहाँ, बिहार शरीफ़ के सज्जादा-नशीन और उर्दू-ओ-फ़ारसी के साहिब-ए-दीवान शाइ’र

ख़ानक़ाह-ए-मुअ’ज़्ज़म हज़रत मख़दूम-ए- जहाँ, बिहार शरीफ़ के सज्जादा-नशीन और उर्दू-ओ-फ़ारसी के साहिब-ए-दीवान शाइ’र

शाह अमीरुद्दीन फ़िरदौसी का परिचय

उपनाम : 'वज्द'

मूल नाम : अमीरुद्दीन

जन्म :बिहार शरिफ़, बिहार

निधन : बिहार शरिफ़, बिहार, भारत

संबंधी : शाह अमीन अहमद फ़िरदौसी (बेटा)

हज़रत शाह अमीरुद्दीन फ़िरदौसी ख़ानक़ाह-ए-मुअ’ज़्ज़म हज़रत मख़दूम-ए-जहाँ, बिहार शरीफ़ के सज्जादा-नशीन थे। आपकी पैदाइश 9 मुहर्रमुल-हराम 1217 हिज्री मुवाफ़िक़ 1803 ई’स्वी में ख़ानक़ाह-ए-मुअ’ज़्ज़म में हुई। आप हज़रत शाह वलीउल्लाह इब्न-ए-शाह अ’लीमुद्दीन फ़िरदौसी के साहिब-ज़ादे हैं। इब्तिदाई ता’लीम-ओ-तर्बियत अपने बुज़ुर्गों के ज़ेर-ए-साया हुई। उ’लूम-ए-मुतआ’रफ़ा की ता’लीम मौलाना सय्यद अ’ज़ीज़ुद्दीन शाह क़ुतुबुद्दीन उ’र्फ़ बसावन कर्जवी ख़लीफ़ा मख़दूम मुनइ’म-ए-पाक से हासिल की । आपकी इब्तिदाई ज़िंदगी ग़ैर मोहतात और ऐ’श-ओ-इ’श्रत परस्त थी। आज़ाद-रविश इन्सान थे लेकिन जब आप हज़रत शाह हुसैन अ’ली शत्तारी के दस्त-ए-हक़-परस्त पर बैअ’त हुए तो आपकी ज़िंदगी बिल्कुल बदल गई और तलब-ए-हक़ की तरफ़ हमा-तन मुतवज्जिह हुए। हज़रत शाह अमीरुद्दीन फ़िरदौसी को हज़रत शाह अबुल-हसन बिन हज़रत ख़्वाजा शाह अबुल-बरकात अबुल-उ’लाई और हज़रत हमीदुद्दीन राजगीरी से भी इर्शाद-ए-तरीक़त हासिल था। ग्यारह साल की उ’म्र से ही शे’र-ओ-सुख़न का ज़ौक़ पैदा हुआ। फ़ारसी में दस्त-गाह हासिल थी। इसलिए पहले फ़ारसी में शाइ’री की और उसके बा’द उर्दू में भी ज़ौक़-ए-शे’री को परवान चढ़ाया।फ़ारसी में ज़लूम और उर्दू में वज्द तख़ल्लुस इख़्तियार किया। आपने अपने शे’र पर किसी से इस्लाह नहीं लिया। आप फ़ितरी शाइ’र थे। तसव्वुफ़ से गहरा लगाव था। आपके कलाम में हक़ाएक़-ओ-मआ’रिफ़ का गहरा इम्तिज़ाज है। आपका विसाल 5 जमादिउल-अव्वल जुमआ’ की शब 1287 हिज्री मुवाफ़िक़ 1868 ई’स्वी में हुआ। बड़ी दरगाह में हज़रत मख़दूम-ए- जहाँ के पाइं, हलक़ा-ए-सज्जादगान में मद्फ़ून हैं। तसव्वुफ़ में इ’श्क़-ओ-सर-मस्ती की बड़ी अहमियत है। इसी से मनाज़िल-ए-सुलूक तय होते हैं। इस कैफ़ियत को वज्द के अश्आ’र में देखिए। सबा की तरह रहा मैं भी कू-ब-कू फिरता हमारे दिल से भी उस गुल की जुस्तुजू न गई सूफ़ियाना शाइ’री की हैसियत से वज्द बिहारी एक मुन्फ़रिद मक़ाम के मालिक हैं। उनकी शाइ’री में सूफ़ियाना अफ़्क़ार तनव्वुअ’ के साथ जल्वा-गर है। वज्द के यहाँ मीर का दर्द-ओ-सोज़ भी है और दर्द का तसव्वुफ़ भी।


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