अफ़ज़ल लखनवी के अशआर
नहीं गो आज आराईश से मोहलत आपको लेकिन
हमारी दास्तान-ए-ग़म कभी सुनने के क़ाबिल है
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टैग : ग़म
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere