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अली हुसैन अशरफ़ी

1850 - 1936 | कछौछा शरीफ़, भारत

गुलिस्तान-ए-मख़दूम-ए-अशरफ़ का एक रौशन चराग़

गुलिस्तान-ए-मख़दूम-ए-अशरफ़ का एक रौशन चराग़

अली हुसैन अशरफ़ी का परिचय

नाम मुहम्मद अ’ली हुसैन,कुनिय्यत अबू अहमद, ख़ानदानी ख़िताब अशरफ़ी मियाँ है। 22 रबीउ’स्सानी 1266 हिज्री सोमवार को कछौछा में पैदा हुए। मौलाना गुल मुहम्मद ख़लील आबादी ने बिस्मल्लाह ख़्वानी की रस्म अदा कराई। मौलाना अमानत अ’ली कछौछवी, मौलाना सलामत अ’ली गोरखपुर और मौलाना क़लंदर बख़्श कछौछवी से उ’लूम-ए-दीनिया की तहसी ल-ओ-तक्मील फ़रमाई। आपको बैअ’त-ओ-ख़िलाफ़त 1282 हमें अपने बिरादर-ए- अकबर हज़रत शाह अशरफ़ हुसैन कछौछवी से है। आपने तिश्नगान-ए-उ’लूम-ओ-मारिफ़त और मुतलाशियान-ए-हक़ को जाम-ए-मा’रिफ़ त से सरशार कर के हक़ की राह दिखाई। आपकी ज़ात से सिलसिला-ए-चिश्तिया अशरफ़िया को बड़ा फ़रोग़ हासिल हुआ। आपकी अ’ज़ीम रुहानी शख़्सियत को देखकर हिन्दुस्तान, पाकिस्तान, बंगला-देश, नेपाल और अ’रब ममालिक में अ’द्न, जद्दा, मक्का मुकर्रमा, मदीना मुनव्वरा, शाम, हलब, तुर्की, इराक़, मिस्र, यमन के जय्यिद उ’लमा-ओ-सूफ़िया ने आपके दस्त-ए-हक़ पर बैअ’त की। हज़रत मख़दूम सुल्तान अशरफ़ समनानी के बा’द सिलसिला-ए-चिश्तिया अशरफ़िया में आप जैसा मरजउल- ख़लाएक कोई दूसरा बुज़ुर्ग नहीं गुज़रा। अशरफ़ी मियाँ कछौछवी को अल्लाह तआ’ला ने हुस्न-ए-सीरत के साथ हुस्न-ए-सूरत में भी बुलंद मर्तबा पर फ़ाइज़ फ़रमाया था। आप आ’ला औसाफ़-ओ-ख़ुसूसियात के हामिल थे। आपका विसाल 11 रजबुल-मुरज्जब 1355 हिज्री को हुआ। मज़ार आस्ताना -ए-मख़दूम अशरफ़ जहाँगीर समनानी में ज़ियारत-गाह-ए-आ’म-ओ-ख़ास है।


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