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अल्ताफ़ मशहदी

1914 - 1981 | सरगोधा, पाकिस्तान

इंक़लाब और हुस्न-ओ-इश्क़ के शायर,नाटककार,गीतकार, मुशाएरा के बड़े शायर ,अपनी नज़्म “झूम कर उठो वतन आज़ाद करने के लिए” की वजह से मशहूर

इंक़लाब और हुस्न-ओ-इश्क़ के शायर,नाटककार,गीतकार, मुशाएरा के बड़े शायर ,अपनी नज़्म “झूम कर उठो वतन आज़ाद करने के लिए” की वजह से मशहूर

अल्ताफ़ मशहदी के अशआर

आह दुनिया सरा-ए-फ़ानी है

किस क़दर मुख़्तसर कहानी है

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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