अमृत राय का परिचय
इन्होंने मराठी में पहली दफा 'कुटाव' छंद में भक्तिरस के पद लिखे। इस रचनाशैली में तुक की अपेक्षा पद प्रवाह भाषानुसार ध्वनित होता चलता है और आँखों के सामने चित्रों की रचना कर देता है। अमृतराय मध्व मुनीश्वर के प्रिय शिष्य है। ये विदर्भ में बुलढ़ाना जिले के पत्तेखड़ा ग्राम के निवासी थे। बाद में औरंगाबाद को अपना कार्यक्षेत्र चुना और वहीं रहने लगे।