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बहाउद्दीन ज़करिया मुल्तानी

1170 - 1262 | मुल्तान, पाकिस्तान

बहाउद्दीन ज़करिया मुल्तानी

सूफ़ी उद्धरण 16

इल्म का अर्थ पहचान है। इल्म के ज़रिए ही एक साधक ख़ुदा की बारगाह में ऊँचा मर्तबा हासिल करता है, लेकिन इस के लिए यह ज़रूरी है कि बंदा इल्म पर अमल भी करे।

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एक फ़क़ीर का फ़क़्र और ख़ुदा पर भरोसा इतना मज़बूत होता है कि दुनिया की कोई भी चीज़ उसे हिला नहीं सकती और उसकी एक साँस में दोनों जहां नहीं समा सकते।

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फ़कीर यानी ख़ुदा की रज़ा में राज़ी होना, चाहे उस के पास कुछ हो। दुनिया की दौलत की फ़िक्र हो, उस के पास दौलत हो तो ख़ुदा की राह में ख़र्च करने के लिए हो और हो तो ख़ुदा का शुक्र अदा करे। फ़क़ीर जितना दुनिया की दौलत से बेज़ार होता जाता है, उतना ही उस के जीवन में दिव्य रहस्य खुलते जाते हैं।

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सूफ़ी वो है, जिसका दिल हर तरह की बुराई और गंदगी से साफ़ होता है।

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सूफ़ी वो है, जो सुबह को उठे तो रात को याद करे।

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