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बू अली शाह क़लंदर

1209 - 1324 | पानीपत, भारत

मशहुर सूफ़ी बुज़ुर्ग बू-अ’ली शाह क़लंदर

मशहुर सूफ़ी बुज़ुर्ग बू-अ’ली शाह क़लंदर

बू अली शाह क़लंदर के सूफ़ी उद्धरण

नफ़्स को अच्छी तरह समझ, जब तू नफ़्स को जान लेगा, तो दुनिया को पहचान सकेगा और अगर तू रूह को पहचान लेगा, तो 'उक़ब़ा' को पहचान लेगा।

आशिक़ी इख़्तियार कर, दोनों जहाँ को माशूक़ का हुस्न तसव्वुर कर।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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