दूलनदास जी का परिचय
जगजीवन साहब के मुरीद थे और कुछ वर्ष 18वें शतक विक्रमी संवत के पिछले भाग में और विशेष काल तक 19वें शतक के अगले भाग में वर्तमान थे। समेसी गाँव जिला लखनऊ में एक जमींदार के घर जन्म। सरदहा में जगजीवन साहब से उपदेश लेने के बाद काफी वक्त तक उनके संग कोटवा में रहे और फिर रायबरेली में धर्म्मे नामक गाँव बसाया जहाँ चोला छोड़ा। दूलनदास जी गृहस्थ आश्रम में ही रहे। जाहिर में जमींदारी के काम को नहीं छोड़ा। यही मर्यादा इनके समस्त गद्दियों की है।