पेम कहानी
पेम कहानी कहत हूँ सुनो सखी तुम आए
पी ढूँढ़न कूँ हौं गई आई आप गँवाए
पेम कहानी बिख भरी मत सुनियो कोऊ आए
बातन-बातन बिख झरे देखत ही घर जाए
पेम गली अति साँकरी पी बिन कुछ न समाए
तन-मन छोड़ जब आए तो पीह पाया जाए
पेमनगर मूँ आए के सुध-बुध से रहे कौन
सुध-बुध