समा’ के आदाब
समा’ के जाइज़ होने या न होने की बहस के बर-तरफ़ ,इसके आदाब को समझना और उन पर ’अमल करना बेहद ज़रूरी है। इस दौर में जब सूफ़ियाना मूसीक़ी या सूफ़ियाना कलाम के नाम से जो तमाशा बनाया जा रहा है उस में ये समझना ज़रूरी है कि सूफ़िया-ए-किराम ने समा’ सुनने की जो इजाज़त