फ़ानी बदायूँनी के अशआर
फ़स्ल-ए-गुल आई या अजल आई क्यों दर-ए-ज़िंदाँ खुलता है
या कोई वहशी और आ पहुंचा या कोई क़ैदी छूट गया
-
टैग : गुल
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere