गरीब दास का परिचय
मौजा छुड़ानी, तहसील झज्झर, जिला रोहतक (हरियाणा) में सन् 1717 ई. में जन्म। पेशा जमींदारी था। अपने घर मौजा छुड़ानी में ही सत्संग खड़ा करके लोगों को चेताते रहे और सारी उम्र गृहस्थ रहकर 61 वर्ष की उम्र में सन् 1878 ई. में इनका देहाँत हुआ।
इनकी दो लड़कियाँ और चार लड़के थे। कुछ लोगों का मानना है कि उनके बेटों में से ही एक गद्दी पर बैठा। जबकि कुछ लोगों का मत है कि उनके गुरुमुख शिष्य सलोत जी ने गद्दी पायी। जो भी हो, इस समय तो यही रिवाज है कि औलाद को ही महन्ती मिलती है और वह गृहस्थ ही रहा करते हैं।
महात्मा जी के पहनने का जामा, पगड़ी, पलंग और अन्य उपयोग की वस्तुएँ आज भी मौजा छुड़ानी में इनकी समाधि पर मौजूद है।