विट्ठलदास के शिष्य और अष्टछाप के कवि। जन्म भरतपुर रियासत के आँतरी गाँव में। वल्लभ संप्रदाय में दीक्षित होने के बाद गोवर्द्धन पर रहने लगे। पढ़े लिखे थे और गायनएवं काव्यकला में निपुण थे। तानसेन भी इनकी संगीत कला का सम्मान करते थें। 262 पदों का एक संग्रह प्रकाशित है।