हामिद वारसी के अशआर
अहल-ए-महफ़िल हों न हों दिल तो मुजस्सम गोश है
क़िस्सा-ए-ग़म रात-भर 'हामिद' सुनाते जाइए
-
टैग : ग़म
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere