हसरत अजमेरी के सूफ़ी लेख
पीर-ए-दस्त-गीर हज़रत अब्दुल क़ादिर की करामतों का बयान
हुज़ूर का इस्म-ए-मुबारक सय्यद ’अब्दुल क़ादिर था। ख़िताबात आप के दस्त-गीर-ओ-ग़ौस-उल-आ’ज़म वग़ैरा हैं। करामातें जनाब-ए-वाला से इस क़दर ज़ुहूर में आई हैं कि क़लम ताब-ए-रक़म नहीं ला सकता मगर जनाब-ए-अक़्दस के कमालात-ए-मशहूर बयान किए जाते हैं। रिसालत-उल-औलिया
जिक्र-ए-मुबारक ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी
नाम-ए-पाक आपका बख़्तियार और लक़ब क़ुतुबुद्दीन काकी था। आप काज़मी सादात से हैं।ब-तौर-ए-तबर्रुक आपकी करामतों का कुछ हाल क़लम-बंद किया जाता कि नाज़िरीन दाख़िल-ए-हसनात हों। नक़्ल है कि जब आप पैदा हुए ठीक आधी रात थी। उस वक़्त इस क़दर नूर आप से ज़ाहिर हुआ कि
ज़िक्र-ए-मुबारक ख़्वाजा फ़रीद-उल-हक़ वद्दीन
इस्म-ए-मुबारक आपका मस’ऊद और लक़ब फ़रीदुद्दीन गंज बख़्श है । हुज़ूर के वालिद-ए-बुज़ुर्ग-वार का नाम जमालुद्दीन और वालिदा साहिबा का इस्म-ए-शरीफ़ बीबी क़ुरैशम ख़ातून था। आप हज़रत –ए-’उम्र की औलाद से हैं। मंक़ूल है कि आपकी वालिदा साहिबा निहायत पारसा थीं।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere